Thursday, August 25, 2011

भोजन संबंधी आदतें और ज्योतिष


ज्योतिष एक पूर्ण विकसित शास्त्र है जिसमें केवल एक कुंडली उपलब्ध होने पर उस मनुष्य के समस्त जीवन का खाका खींचा जा सकता है | यहाँ तक कि उसके खानपान संबंधी आदतें भी कुंडली से बताई जा सकती हैं |
धन स्थान से भोजन का ज्ञान होता है | यदि इस स्थान का स्वामी शुभ ग्रह हो और शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति कम भोजन करने वाला होता है |
यदि धनेश पाप ग्रह हो, पाप ग्रहों से संबंध करता हो तो व्यक्ति अधिक खाने वाला (पेटू) होगा | यदि शुभ ग्रह पाप ग्रहों से दृष्ट हो या पाप ग्रह शुभ से (धनेश होकर) तो व्यक्ति औसत भोजन करेगा |
लग्न का बृहस्पति अतिभोजी बनाता है मगर यदि अग्नि तत्वीय ग्रह (मंगल, सूर्य बृहस्पति) निर्बल हों तो व्यक्ति की पाचन शक्ति गड़बड़ ही रहेगी |
धनेश शुभ ग्रह हो, उच्च या मूल त्रिकोण में हो या शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो व्यक्ति आराम से भोजन करता है |
धनेश मेष, कर्क, तुला या मकर राशि में हो या धन स्थान को शुभ ग्रह देखें तो व्यक्ति जल्दी खाने वाला होता है |
धन स्थान में पाप ग्रह हो, पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति बहुत धीरे खाता है |
खाने में पसंद आने वाली चीजों की सूचना छठे भाव से मिलती है |
छठे स्थान में बुध या बृहस्पति हो तो नमकीन वस्तुएँ पसंद आती हैं |
बृहस्पति बलवान होकर राज्य या धन स्थान में हो तो मीठा खाने का शौकीन होता है |
शुक्र, मंगल छठे स्थान में हों तो खट्टी वस्तुएँ पसंद आती हैं |
शुक्र-बुध की युति हो या छठे स्थान पर गुरु-शुक्र की दृष्टि हो तो मीठी वस्तुएँ पसंद आती हैं |
छठे स्थान में सिंह राशि हो तो तामसी भोजन (मांस-अंडे) पसंद आता है | वृषभ राशि हो तो चावल अधिक खाते हैं |
बुध पाप ग्रहों से युक्त होने पर मीठी वस्तुएँ बिलकुल नहीं भातीं |


                   


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