Wednesday, March 17, 2010

राहु एक विलक्षण और रहस्यमय ग्रह

एक पौराणिक  कथानुसार हिरण्यकशिपु की कन्या सिंहका का विवाह विप्रचिति नामक एक महाबली दानव के साथ हुआ| इन्ही दोनों की संतान है महाबली राहु| समुद्र-मंथन  के समय जब भगवान  विष्णु मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत बांट रहे थे तो राहु को कुछ संदेह हुआ और वह भी देवता का भेष बनाकर उनकी पंक्ति में बैठ गया| जहाँ ये बैठा था वहां सूर्य और चंन्द्रम भी बैठे थे| राहु के उतावलेपन को देखकर सूर्य-चंन्द्र को राहु की वास्तविकता का पता चला तो उन्होने सांकेतिक रूप में यह बात भगवान विष्णु को बताईं| तत्काल ही भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया,लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और अमृत गले के नीचे जा चुका था अतः सिर और धड़ दोनों में ही प्राण का संचार होता रहा जिस कारण सिर वाले भाग को राहु और शेष भाग को केतु कहते है चन्द्र-सूर्य से अपने इसी कृत्य का बदला लेने के लिए कहते हैं कि प्रतिवर्ष सूर्य-चन्द्र को राहु द्वारा ग्रहण लगता हैं इसी कारण राहु की सूर्य-चन्द्र से शत्रुता भी है राहु-केतु दानव वंश से है इसीलिये इनमें दानवोचित गुणों की प्रबलता पाई जाती हैं| इसी प्रबलता के कारण ही इन्हें नव ग्रहो में शामिल कर लिया गया| इससे पहले सात ही ग्रहो को मान्यता प्राप्त थी|
लाल किताब में राहु को कुंड़ली के तीसरे व षष्ठ भाव में ही शुभफल देने वाला कहा है| तीसरे घर में राहु को आयु व दौलत का मालिक कहा गया है| कहते हैं कि जिस जातक के तीसरे घर राहु हो उसके लिए वह हाथ में बंदूक लिए खड़ा पहरेदार या रक्षक है| ऐसा राहु जातक के अच्छा स्वास्थ तो प्रदान करता ही है धन हानि भी नहीं होने देता और जातक को दिलेर बनाता है| अन्य ज्योतिषीय मान्यताओं में तीसरे यानी पराक्रम भाव में कु्र व पुरुष ग्रह जैसे-राहु, मंगल, सूर्य व केतु का होना शुभ व स्त्री ग्रह जैसे-चन्द्रमा, शुक्र व बुध जातक को उतना दिलेर नहीं बनाते| इसी प्रकार कुंड़ली के षष्ठम भाव में बैठा राहु जातक के जीवन में आने वाली बड़ी से बड़ी मुसिबत को टाल देता है| लाल किताब में कहा गया है कि षष्ठम भाव का राहु जातक के गले में हए फांसी के फंदे को भी हाथी का रूप लेकर निकाल देता है| षष्ठम भाव में इसलिए इसे मुसीबत की हर रस्सी काटने वाला मददगार हाथी कहा गया है| ऐसी मान्यता है कि शीशे की एक छोटी सी गोली हमेशा पास में रखने से राहु की शुभता और बढती है| राहु को कच्चा कोयला, कैक्टस का पौधा, व हाथी आदि का कारक माना गया है | अच्छा होगा ये चीजें घर के अन्दर न रखें| चतुर्थ भाव का राहु किसी जातक को तब तक कोई नुकसान नहीं पहुँचाता, जब तक जातक उससे छेड़छाड़ नहीं करें|
कालपुरूष की कुंड़ली के अनुसार चतुर्थ भाव में कर्क राशि आती है, जिसका स्वामी चंद्रमा हैं और चंद्रमा को सभी ग्रहो की माता माना गया है| इस घर में राहु जब तक चुपचाप बैठा रहता है और कोई शुभ-अशुभ फल नहीं देता, परन्तु  यहां पर बैठे राहु की कारक चीजें जैसे-मकान की छत को बदलना या शौचालय को तुड़वाकर दुबारा बनवाना या शौचालय की मरम्मत करवाना राहु को नराज कर देता है| उस परिवार के किसी न किसी की व्यक्ती को दिमाग की बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है यहाँ पर राहु पहले से अशुभ हो तो कई बार जातक को जेल या अस्पताल तक जाने की नौबत आ जाती है| चतुर्थ भाव का हमारे मकान से गहरा संबंध है| ऐसा माना जाता है कि राहु के कारक आदमी से जमीन खरीद कर उस पर मकान बनाने या खरीद कर रहने से राहु कोधित हो जाता है और उस परिवार में कोई न कोई मुसीबत खड़ीं रहती है| मेरा मानना है कि राहु से छेड़छाड़ करने के बजाय उससे दुरी बनाकर रहना चाहिए
ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह कहा गया है लेकिन लाल किताब के अनुसार यह छाया साधारण परछाई भर नहीं, आंधी जैसे धुएं का कारक है| अष्टम भाव के राहु को कड़वा धुआं कहा जाता है यह अचानक चोट, कोर्ट केस-मुकदमे, पुलिस ज्यादती, मुसीबतों, संकट आदि की और इशारा करता है| जातक को यह समझ में नहीं आता कि मुसीबतें कब और कैसे आती हैं| अष्टम भाव का राहु जब वर्षफल व गोचर फल में भी इसी भाव में होता है, तो जातक के ऊपर कोई बड़ी मुसीबत आ सकती है| इसके अलावा राहु शुक्र जैसे कोमल व सुन्दर ग्रह को बेहद परेशान रखता है| सप्तम भाव में शुक्र व राहु का एक साथ होना मांगलिक दोष से ज्यादा खतरनाक माना जाता है| ज्योतिष में शुक्र को पत्नी का कारक कहा गया है| इसका शादी से गहरा संबंध होता है| शुक्र हमारी त्वचा का भी कारक है| इसलिए सप्तम भाव में शुक्र के साथ बैठा राहु शुक्र के शुभ फल को भी दुषित कर देता है
जब राहु का विशेष प्रकोप होता है तो जातक नशे की गिरफ्त में आ जाता है फिर परस्त्री गमन और वेश्यागामी होकर समाज में निन्दनीय होना शुरू है| जातक हमेशा अशौचावस्था में रहने लगता है| ऐसे जातक पिशाच अथवा भूत-प्रेत बाधा के गिरफ्त में आसानी आ जाते है शत्रुओं द्धारा किया जाने वाला मंत्र-जादू-टोना के शिकार ऐसे जातक आसानी से हो जाते है
जब राहु रोगकारी होता है तो इसके रोग आसानी से डाक्टरों के पकड़ में भी नहीं आते रोग के लक्षण और गम्भीरता तेजी बदलते रहते है| वात ब्याधि और पेट में गैस तथा पैरों के कष्ट के साथ ही साथ घाव-नासुर तथा खुजली से भी कष्ट की संभावना रहती है|
फिर समय मिलने पर राहु ग्रह पर विस्तार से और पोस्ट करोगा
ज्योतिष एक अति जाटिल विषय है इसमें शुभाशुभ का ज्ञान मात्र कुछ बातों से ही नहीं किया जा सकता| यह तो मात्र शुभाशुभ जानने की स्थूल विधी है| सूक्ष्म रूप से जानने के लिए कई अन्य पहलुओ को भी ध्यान में रखना होता है|

5 comments:

  1. I don't know anything about astrology before.But after reading ur blog i understood a lot of things related with astro and astrology that how it helps us in our life.

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  2. that is so true...i have noticed the same things happening in life....

    very nice blog

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  3. that is so true....
    i have noticed the same things happening in life..

    very nice blog

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  4. thank u 4 making the happy life...............

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