Monday, May 10, 2010

राहु एक विलक्षण और रहस्यमय ग्रह........आगे

राहु एक विलक्षण और रहस्यमय ग्रह........आगे
राहु कुटनीति का सबसे बडा ग्रह है,दिमाग को खराब करने में अपनी ताकत लगा देता है| शादी अगर किसी प्रकार से राहु की दशा-अंन्तरदशा में करदी जाती है तो  वह शादी किसी प्रकार से चल नहीं पाती,अचानक कोई बीच वाला आकर उस शादी में फितूर भर देता है और शादी टुटने के कगार पर आ जाती है,कोट केश चलते है,गृहस्थ सुख नहीं मिलते जातक के पूर्व करमो को उसी रूप से प्रायचिश्त करा कर उसको शुद्ध कर देता है
राहु जिस घर में बैठता है 19 वे साल उस घर का  जरूर फल देता है,सभी ग्रहो को छोड़ कर यदि किसी का राहु सप्तम में हो चाहे साथ में शुक्र हो या बुध या गुरु हो व स्त्री हो तो पुरूष का सुख व पुरूष हो तो स्त्री का सुख यह राहु 19 वे वर्ष में जरूर देता है और उस फल को 20 वें साल नष्ट भी कर देता है| इसलिए 19 वें साल में किसी ने प्रेम प्यार या शादी करली उन्हें एक साल बाद काफी कष्ट हुये| राहु किसी भी ग्रह की शक्ति को खिचता जरूर है परन्तु अपने अन्दर हजम नहीं कर पाता इसलिए वापस छोडता जरूर है|
राह॒ के आगे पीछे 6 अंश तक कोई ग्रह हो तो उस ग्रह की शक्ति ही समाप्त कर देता है| राहु की दशा 18 साल की होती है व इसकी चाल नियमित है तीन कला ग्यारह विकला रोजाना की चाल से अच्छा या बुरा फल जरूर देता है| इसकी चाल से 19 वीं साल में किसी का अगर शारिरिक संबंध बने तो 38 वे साल में भी बनाने पडेंगे या किसी प्रकार 19 वें साल जेल या अस्पताल  या कहीं बंधक में रहा हो तो 38 वे साल में भी रहना पडेगा| राहु के गणना के साथ जो तिथि आज है वही तिथि आज के 19 वीं साल की होगी|
राहु कुडंली में नीच राशि में चतुर्थ,पंचम,सप्तम,अष्टम,नवम,द्धाद्धश भाव में हो तो निश्चित ही आथिर्क,मानसिक,भौतिक पिड़ाये अपनी दशा-अंतरदशा में देता है| अस्त राह॒ भयंकर पीड़ादायक होता है चाहे किसी भी भाव का हो| राहु बारहवें घर में भी बड़ा अशुभ होता है यहां पर जेल या बंन्धक का कारक है|  दशा-अंतरदशा में पागलखाने या जेलखाने या अस्पताल में भेज देता है|
बुध अस्त में जन्मे जातक कभी भी राहु वाले खेल न खेले तो सुखी रहेगा| राहु का संबंध मंनोरंजन और फिल्मों से भी है व वाहन का कारक भी है और राहु को हवाई जहाज के काम और आंतरिक्ष में जाने का कार्य पंसद है| राहु के साथ मंगल वाला जातक धमाका करने में माहिर होता है
राहु से गृस्त व्यक्ति पागल की तरह व्यवहार करता है ,पेट के रोग, दिमागी रोग, पागलपन, खाज-खुजली, भूत-चुडैल का शरीर में प्रवेश करना, नशे की आदत लगाना,गलत स्त्रियों या पुरूषों के साथ संबंध बनाकर विभिन्न प्रकार के रोग लगा लेना, शराब और शबाब के चक्कर में खुद को बबार्द करना, कम्प्यूटर टीवी मंनोरंजन के साधनों में अपना मन लगाकर बैठना, होरर शो देखने की आदत होना, नेट पर बैठकर बेकार की स्त्रियों और पुरूषों के साथ चैटिंग करना और दिमाग को खराब करते रहना, कुत्रिम साधनों से अपने शरीर के सूर्य को यानी वीर्य को झाड़ते रहना, शरीर के अन्दर अति कामुकता के चलते लगातार यौन संबंधों को बनाते रहना और बाद में वीर्य के समाप्त होने पर या स्त्रीयों में रज के खत्म होने पर टीबी, तपेदिक, फेफड़ों की बीमारिया लगाकर जीवन को समाप्त करने का उपाय करना|
उपरोक्त प्रकार के भाव मिलते है तो समझना चाहिए की किसी न किसी प्रकार के राहु का प्रकोप शरीर पर है या तो गोचर से अपनी शक्ति देकर मनुष्य जीवन को जानवर की गति प्रदान कर रहा है अथवा राहु की दशा चल रही है
राहु चन्द्र की युक्ति हो तो यह मान के चले कि चिन्ता का दौर चल रहा है यह युक्ति कोई भी भाव में हो, दिमाग में किसी न किसी प्रकार की चिन्ता लगीं रहती है| महिला हो तो अपनी सास, ससुराल खानदान के साथ बंन्धक की चिन्ता लगी रहती है यह योग किसी भी भाव में  अगर दुरी में चाहे 29 अंश तक क्यों न हो वह अपना फल जरूर देता  है इसलिए राहु जब भी गोचर से या जन्मकुंडली की दशा से दोनों एक साथ होगे तो चिन्ता का समय जरूर सामने होगा|
राहु की उतम दशा में जातक संयुक्त परिवार में रहता है, बाग-बगीचे लगाना और लगातार उन्नति करता है और अपना विकास करता है लेकिन दिमागी फितूर का दौर जारी रहता है|
दशा-अंन्तदशा आरभ्भ होने से पहले ही राहु के बीज मंत्र का जाप अवश्य कर लेना चाहिए राहु चाहे किसी भी भाव का हो|

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