Saturday, April 24, 2010

कुड़ंली में विवाह योग

                             कुड़ंली में विवाह योग

युवा अवस्था में कदम रखते ही घर वालों को संतान के विवाह की चिन्ता शुरू हो जाती है ऐसे में चिन्ता होती है कि विवाह कब होगा| जीवन साथी कैसा होगा और दाम्पत्य जीवन कैसा रहेगा ज्योतिष के माध्यम से इन सवालों को जाना जा सकता है|
सबसे पहले कुडंली में देखें कि विवाह योग है या नहीं| ये ग्रह विवाह में बाधा उत्पन्न करते है|
1) सप्तमेश कूर ग्रहो से युक्त होकर ६-८-१२ भाव में चला गया हो या अस्त हो|
2) 6-8-12 भाव का स्वामी सातवें घर में हो ,पाप ग्रहो के साथ हो और इन पर कोई शुभ ग्रह की द्ष्टि न पड़ती हो साथ ही सत्तमेश त्रिक भावो का स्वामी भी हो|
3) लग्न,सप्तम, द्धादश में पापी या नीच ग्रह बैठा हो व कुडंली पुरूष की हो तो सूर्य,चन्द्र कमजोर हो और स्त्री कुडंली में गुरु चन्द्रमा कमजोर हो तो विवाह प्रतिबंध योग होता हैं|
4) सप्तम भाव में शनि चन्द्र हो चतुर्थ भाव में मंगल हो तो स्त्री के संतान में बाधा होती है और दाम्पत्य सुख में रूकावट होने की संभावना रहती है|
5) सप्तम भाव द्धादश भाव में दो-दो पाप ग्रह हो सप्तमेश पर कोई भी शुभ द्ष्टि नहीं हो साथ ही पंचम भाव में चन्द्रमा हो तो विवाह योग कमजोर हो जाते है|
कुडंली में उक्त योग ना हो तो माना जाता है कि व्यक्ति की कुडंली में विवाह योग है|
      कुड़ली में सुखद विवाह योग
1 सप्तम भाव शुभ हो सप्तमेश बलवान हो या शुभ दष्टि हो
2 शुभ ग्रह सप्तम भाव में हो और सप्तमेश उसे देखता हो तो यह योग बलवान होता है|
3 लग्नेश या सप्तमेश लग्न सप्तम या दुसरे भाव में हो|
4 सप्तम भाव में चंन्द्रमा या शुक्र या दोनों की युक्ति हो तो विवाहित जीवन सुखमय होता है
5 यदि सप्तम भाव में शुभ ग्रह हो सप्तमेश शुभ ग्रहो से युक्ति कर दुसरे सातवें आठवें घर में हो तो विवाह योग बनता है|

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