Wednesday, April 14, 2010

मेलापक विचार की आवश्यकता

विवाह योग्य वर वधु का भली-भांति विचार कर इन दोनों का मेलापक मिलान करना चाहिए| दम्पति की प्रकृति, मनोवृति एंव अभिरुचि तथा स्वाभावगत अन्य विशेषताओं में कितनी समानता है| यह हम नक्षत्र मेलापक से जान सकते है प्रणय या   दांम्पत्य संबधों के लिए वर वधु का मेलापक अनिवार्य रूप से विचारणीय है|
कुछ लोग यह कह सकते है कि ज्योतिषियों द्धारा मेलापक के बाद किए गये विवाह भी बहुधा असफल होते देखें गये है| अनेक दांम्पत्यो में वैचारिक मतभेद या वैमनस्य रहता है| अनेक युगल गृह-क्लेश से परेशान होकर तलाक ले लेते है तथा अनेक लोग धनहीन, सन्तानहीन या प्रेमहीन होकर बुझे मन से गाड़ी ढकेलते देखें जाते है| मेलापक का विचार करने के बाद विवाह करना सुखमय दांमपत्य जीवन की क्या गारंटी है| यह कैसे कहां जा सकता है इस प्रकार की शंकाएं अनेकलोगों के मन में रहती है ज्योतिषी द्धारा मेलापक मिलवाने के बाद विवाह करने पर भी काफी लोगों का दांमपत्य जीवन आज सुखमय नहीं है इसके कुछ कारण है |
1 बिना जन्मपत्री मिलाएं विवाह करना 2 नकली जन्मपत्री बनवाकर मिलान करवाना 3 प्रचलित नाम से मिलान करवाना 4 जन्मकुंडली का ठीक न होना 5 जिस किसी व्यक्ति से जन्मपत्रियों का मिलान का निणर्य करा लेना|
जिस किसी से मिलवान करा लेना आज ज्योतिष कुछ ऐसे लोगों के हाथों में फंस गया है जिनको ज्योतिष शास्त्र की यथार्थ जानकारी तो क्या प्रारंभिक बातें भी ठीक-ठीक रूप से पता नहीं है ज्योतिष शास्त्र से अनभिज्ञ ज्योतिषीयो की संख्या हमारे देश में  ज्यादा है यधपि तो पांच प्रतिशत व्यक्ति ज्योतिष शास्त्र के अधिकारी विदा्न भी है  किन्तु मेलापक का कार्य करने वाले लोगों में अधिकांश लोग इस शास्त्र की पुरी जानकारी नही  रखते| जो लोग इस शास्त्र के अच्छे ज्ञाता या विद्वान है सामान्य लोग उनके पास पहुंच नहीं पाते तथा ये विद्वान अपने  स्तर से उतर कर कार्य नहीं करते| इन्ही कारणों से मेलापक का कार्य अनेक नीम-हकीम ज्योतिषीयो द्दारा हो जाता है|
कुडंलीयो का मेलापक करना या विधी मिलाना एक जिम्मेदारीपूर्ण कार्य है| जिसमें सुझबुझ की आवश्यकता है| बोलते नाम से नक्षत्र व राशियां ज्ञात कर उनके आधार पर रेडीमेड मेलापक सारणी से गुण संख्या निकाल लेते है यदि 18  से गुण कम हो तो विवाह को अस्वीकृत कर देते है| यदि 18 से ज्यादा गुण हो तो विवाह की स्वीकृति दे देते है यदि जन्मपत्री उपलब्ध हो तो यह देखते हैं कि वर कि कुडंली में लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, द्धादश, में मंगल तो नहीं है| अगर मंगल इन्ही भावों में हो तो कन्या की कुडंली में इन्ही भावों में मंगल ढुढते है| यदि कन्या कि कुडंली में इन्ही भावो में मंगल मिला तो गुण-दोष का परिहार बता देते है|
मंगल की बजाय यदि इन्ही भावों में से किसी में शनि, राहु, केतु, या सूर्य मिल जाय तो भी गुण दोष का परिहार बताकर जन्मपत्रियों के मिल जाने की घोषणा 5-10   मिनटों में ही कर देते है| मेलापक करना एक उत्तरदायित्य पूर्ण कार्य है इसे नामधारी ज्योतिषी दो अपरिचित व्यक्तीयो के भावी भाग्य एवं दामपत्य जीवन का फैसला कर देता है यह कैसी विडम्बना है कि आज हर एक पण्डित, करमकाण्डी, कथावाचक, पुजारी, साधु एवं सन्यासी स्वयं को ज्योतिषी   बतलाने में लगा हुआ है| इससे भी दुभाग्य की बात यह है कि जनता ऐसे तथाकथित ज्योतिषीयों के पास अपने भाग्य का  निणर्य कराने, मुहूर्त और मेलापक पूछने जाती है तथा ये नामधारी ज्योतिषी लोगों के भाग्य का फैसला चुटकियाँ बजाते-बजाते कर देते है| यही कारण है कि इन लोगों से मेलापक मिलवाने के बाद ही वैवाहिक जीवन सुखमय न होने के असंख्य उदाहरण सामने आते है|
मै यह नहीं कहता कि पण्डित, करमकाण्डी, कथावाचन या पुजारियों में सभी लोग ज्योतिष से अनभिज्ञ होते है इनमें भी कुछ लोग ज्योतिष शास्त्र के अच्छे ज्ञात होते है परन्तु इनकी संख्या प्रतिशत की दष्टि काफी कम है| ज्योतिष को न जानने वाले लोगो की संख्या सवाधिक है|
मेरी राय में मेलापक का विचार ज्योतिष शास्त्र के अच्छे विद्वान से कराना चाहिए| उन्हें विचार करने के लिए भी पुरा अवसर देना चाहिए| मेलापक विचार कोई बच्चों का खेल नहीं है यह एक गूढ़ विषय है,  जिसका सावधानी पूवर्क विचार करना चाहिए तथा नक्षत्र मेलापक के साथ-साथ लड़के की कुडंली से स्वास्थ्य, शिक्षा, भाग्य, आयु, चरित्र एवं संतान क्षमता का विचार अवश्य है| कन्या की कुडंली से स्वा स्वास्थ्य,  स्वभाव, भाग्य, आयु, चरित्र एवं प्रजनन क्षमता का विचार कर लेना चाहिए|

No comments:

Post a Comment