Tuesday, May 25, 2010

विषय चयन में सहायक कुडंली

विषय चयन में सहायक कुडंली
उच्च शिक्षा किस विषय की होगी इसके लिए जातक की कुडंली में पंचम भाव एवं उसके अधिपति की और ध्यान देना होगा| पंचम भाव से ज्ञान का पता चलता है|उच्चस्तर की शिक्षा के लिए पंचम भाव का बलवान होना अवश्यक है| पंचमेश का उच्च होना, स्वराशि का होना या किसी और ग्रह के स्वामी से स्थान परिवर्तन से पंचम भाव सुद्धढ़  होता है| पंचमेश लग्नेश सप्तमेश होना या उनका और कोई संबंध हो तो जातक को उच्च शिक्षा का अवसर मिलता है| परन्तु पंचमेश का उच्च होने से उच्च शिक्षा अवश्य मिलेगी |
इसके कुछ अपवाद भी है तुला लग्न में यदि पंचमेश शनि उच्च का का होकर लग्न में हो और लग्नेश शुक्र के साथ उसका संबंध व स्थान परिवर्तन या उसके आमने सामने न हो वह व्यक्ति माध्यमिक शिक्षा में भी बडी कठिनाइयों   से उतीर्ण होगा| इसके अतिरिक्त यदि पंचम भाव में कोई ग्रह उच्च का हो उसको शनि देखता हो और पंचमेश न तो उच्च का हो न स्वराशि का हो न ही उसका स्थान परिवर्तन हो तो जातक आगे पढ़ता ही रहेगा
अब यह जानने के लिए कौन-कौन से विषय में जातक पांरगत होगा पंचम भाव व उसके अधिपति व उसके अधिपति का दुसरे भावों व उनके स्वामियों के संबंधों को समझना होगा| इस संबंध में जो भाव अति बलवान है चाहे उसके पंचम भाव के स्वामी का कोई संबंध है या नहीं उस भाव के विषय को अवश्य पढ़ेगा|
शिक्षा की तीन धाराएं है-विज्ञान, कला, वाणिज्य आज शिक्षा सहस्त्र धाराओं में बट गई है और कई नाम तो ऐसे है जो सुनने में पहले कभी नहीं आये इन सब को बारह भागों में बाटना भी कठिन है| परन्तु ज्योतिष में हमें देश काल पात्र का ध्यान अवश्य रखना पड़ता है| किस भाव से कौन-कौन विषय होगे व हर भाव की अपनी विशेषता व विविधता है| एक ही भाव से बहुत सारी बातों की विवेचना करते है
1- विदेश में शिक्षा व रोजगार के अवसर के लिए बारहवें भाव,सप्तमेश तथा शुक्र ग्रह का विश्लेषण आवश्यक है|
2 - पद का स्तर जैसे प्राइमरी स्कूल में शिक्षक अथवा विश्वविधालयमे में रीडर जानने के लिए वृहस्पति का बल देखा जाता है|
3 - विशेष चयन प्रकिया में सूक्ष्म विश्लेषण के दुसरा भाव, चतुर्थ भाव, नवम भाव तथा दसम भाव का अवलोकन अवश्य है|
4 - चतुर्थ भाव से शिक्षा का बोध होता है|
5- चतुर्थ भाव पर शुक्र के प्रभाव से संगीत व कला से संबंधित विषय चुनना क्षेयस्कर है|
6 -सूर्य योग कारक हो तो राजनीतिशास्त्र विषय से प्रशासनिक सेवा में जाने के अवसर आसान हो जाते है|
7- बुध के बलानुसार गणित, प्रत्रकारिता, वाणिज्य, चार्टर्ड एकाउंटेंट का विषय का चयन करना चाहिए|
8- बुध शुक्र की युक्ति से दर्शन शास्त्र लाभकारी होता है|
9-शनि-वृहस्पति के योग से वकालत पढ़ना श्रेयस्कर रहता है|
10- शुक्र-शनि का योग इलेक्ट्रॉनिस व कम्प्यूटर के विषयों धनोपार्जन करवाते है|
11- राहु से रसायन शास्त्र
12- शनि कि पंचम भाव पर दृष्टि से विज्ञान के अन्य विषय चुनने चाहिए|
13- बुध और धनेश का संबंध स्वतंत्र व्यापार करवाता है
अधिकतर यह देखा गया है कि आज के प्रतिस्पर्धा के युग में कई बार शिक्षा की धारा बदलनी पड़ती है| पहले सभी विज्ञान पढ़ना चाहते है असफल होने पर कला व वाणिज्य की और लौट पड़ते है इसका असली कारण ग्रह और भावों का निरबल संबंध है| शिक्षा की धारा वही होगी जो कि ग्रह और भावों का बलवान संबंध बनाती है| कई बार ऐसा भी होता है कि संबंध बलवान होने पर वह शिक्षा अध्यन काल के समय में नहीं मिलती और बहुत देर बाद पुनः महादशा भुक्ति परिपक्व होती है तो वह व्यक्ति उस शिक्षा का अध्ययन करता है|
जातक की उच्च शिक्षा विषय में जानने से पहले दो बातो का ध्यान रखना अतिआवश्यक है| पहले तो यह कि विज्ञान, कला व वाणिज्य, इंजिनियरिंग के विषयों का तालमेल बैठाना है| किसी को रसायन, भूगोल, इतिहास के साथ इंजिनियरिंग नहीं मिल सकती| भौतिक, गणित और सामाजिक शास्त्र लेकर कोई डाक्टर नही बन सकता| दुसरी बात तो और भी अधिक  आवश्यक है| शिक्षा जीविकोपार्जन का साधन है| शिक्षा केवल शिक्षा के लिए ही नही है| शिक्षा विज्ञान, कला व वाणिज्य की होगी इसके लिए दशम भाव को देख कर और उसकी जीविका किस तरह की होगी यह जानकर ही शिक्षा के विषयों का निणर्य लेना चाहिए| कोई भी डाक्टरी की परीक्षा देकर दुकान पर नहीं बैठ सकता| इसलिए व्यक्ति की उच्चस्तर की शिक्षा का निर्णय लेने से पहले यह ठिक तरह से देख कर निर्णय लेना चाहिए|

Saturday, May 15, 2010

तेरापंथ के आचार्य महाप्रज्ञ का निर्वाण व महाश्रमण पर आचार्य का दायित्व

महाप्रज्ञ का जन्म १७ जून १९२० राजस्थान के झुझुनूं जिले के छोटे से गांव टमकोर में हुआ था अपने परिवार में नथमल के नाम से जाने जाते थे| दस वर्ष की आयु में सन्यास ले लिया था| ९० सालों के महाप्रज्ञ के अंतिम दर्शन करने के लिए देश भर से बड़ी संख्या में उनके अनुयायी सरदारशहर पहुचे| उनकी अंतिम यात्रा में तीन घंटे का समय लगा| पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, शान्तिधारीवाल,शिक्षा मंत्री भँवर लाल मेधवाल,पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिधया,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी,राज्य सभा सांसद ललित किशोर चतुर्वेदी,बीकानेर के सांसद अजुर्न मेघवाल सहित देशभर से कई राज नेता और बड़े उधोगपति एंव सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधी उनके अंतिम दर्शन करने सरदारशहर पहुचे|
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम महाप्रज्ञ के विचारों से बहुत प्रभावित थे इसलिए अंतिम दर्शन के लिए पहुचे| राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील, प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह, काग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाधी, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों एंवम राज्यपालों संहित लालकृष्ण आड़वानी सहित अनेक गणमान्य हस्तीयो ने संदेश भेजकर उनके निधन पर शोक जताया|एंवम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हेलीकाप्टर से सरदारशहर पहुचे व महाश्रमण व साध्वी प्रमुखा से चर्चा की|
रविवार सुबह ९.५५ से १०.१५ बजे तक उन्होंने श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन किया दोपहर दो बजे सीने में दर्द कि शिकायत पर डाक्टरों की टीम पहुचीं व उपचार शुरू किया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका| युवाचार्य महाश्रमण ने दोपहर बाद तीन बजे आचार्य महाप्रज्ञ के देवलोक गमन की घोषणा की|महाप्रज्ञ के निर्वाण से तेरापंथ समाज स्तब्ध है| साधु-सतियों में शोक व्याप्त है|
अणुव्रत आंदोलन में अह॒म भूमिका निभाने वाले महाप्रज्ञ जैन विश्व भारती विश्वविधालय के अध्यक्ष थे| प्रेक्षाध्यान के अविष्कारक और जीवन विज्ञान का प्रयोग करने वाले महाप्रज्ञ ने अहिंसा यात्रा के माध्यम से देश को एक नई दिशा दी| उन्होंने तीन सौ से अधिक पुस्तकें लिखी| जैन योग एवं ध्यान परंपरा के साथ जैन आगमों के भी वे संपादक रहे|
महाप्रज्ञ के बाद अब युवाचार्य महाश्रमण को धर्मसंघ के ११ वे आचार्य का दायित्व सौपा गया है | ११ वे आचार्य का दायित्व सभ्भालने वाले आचार्य महाश्रमण मुदित कुमार का जन्म सरदाशहर में विक॒म संवत २०१९ में हुआ| पिता डुगर मल दुगड़ व माता नेमा देवी के घर जन्मे महाश्रमण को २८ वर्ष कि आयु में १४ सितम्बर १९९७ को आचार्य महाप्रज्ञ ने गंगाशहर में तेरापंथ धर्म संध के युवाचार्य के पद पर प्रतिष्ठत किया था| उन्होंने ने संवत २०३१ में दीक्षा ली थी|
युवाचार्य श्री महाश्रमण मानवता के लिए समपिर्त जैन तेरापंथ के उज्जवल भविष्य है|१३.५.१९६२ को सरदारशहर में जन्मे सरदारशहर में ही ५.५.१९७४ को दीक्षित तथा प्रचीन गुरु परम्परा की श्रृंखला में आचार्य महाप्रज्ञ द्धारा अपने उतराधिकारी के रूप में मनोनित युवाचार्य महाश्रमण विनम्रता की प्रतिमूर्ति हैं| अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी की उन्होंने अनन्य सेवा की तुलसी-महाप्रज्ञ जैसे सक्ष्म महापुरुषों द्धारा वे तराशे गये है|
महाश्रमण उम्र से युवा है, उनकी सोच गभ्भीर है, युक्ति पैनी है द्ष्टि सुक्ष्म है तथा कठोर परिश्रमी है, उनकी प्रवचन शैली दिल को छु लेने वाली है|
युवाचार्य की प्रज्ञा एवं प्रशासनिक बूझ बेजोड़ है, गौर वर्ण, आकर्षक मुख मंड़ल, सहज मुस्कान से परिपूर्ण ब॒ह्म व्यक्तित्व एंव आंतरिक पवित्रता, विनम्रता, शालीनता व सहज जैसे:प्रोत युवाचार्य महाश्रमण से न केवल तेरापंथ अपितु पूरा धार्मिक जगत आशा भरी नजरों से निहार रहा है और उनकी महानता को स्वीकार कर रहा है|
११ वे आचार्य महाश्रमण का पदाभिषेक २३ मई को उतराफाल्गुनी नक्षत्र  कन्या राशि के चन्द्रमा पर विधा मंदिर सरदारशहर में सुबह ८.३० मनाने की सुचना मिली है

Monday, May 10, 2010

राहु एक विलक्षण और रहस्यमय ग्रह........आगे

राहु एक विलक्षण और रहस्यमय ग्रह........आगे
राहु कुटनीति का सबसे बडा ग्रह है,दिमाग को खराब करने में अपनी ताकत लगा देता है| शादी अगर किसी प्रकार से राहु की दशा-अंन्तरदशा में करदी जाती है तो  वह शादी किसी प्रकार से चल नहीं पाती,अचानक कोई बीच वाला आकर उस शादी में फितूर भर देता है और शादी टुटने के कगार पर आ जाती है,कोट केश चलते है,गृहस्थ सुख नहीं मिलते जातक के पूर्व करमो को उसी रूप से प्रायचिश्त करा कर उसको शुद्ध कर देता है
राहु जिस घर में बैठता है 19 वे साल उस घर का  जरूर फल देता है,सभी ग्रहो को छोड़ कर यदि किसी का राहु सप्तम में हो चाहे साथ में शुक्र हो या बुध या गुरु हो व स्त्री हो तो पुरूष का सुख व पुरूष हो तो स्त्री का सुख यह राहु 19 वे वर्ष में जरूर देता है और उस फल को 20 वें साल नष्ट भी कर देता है| इसलिए 19 वें साल में किसी ने प्रेम प्यार या शादी करली उन्हें एक साल बाद काफी कष्ट हुये| राहु किसी भी ग्रह की शक्ति को खिचता जरूर है परन्तु अपने अन्दर हजम नहीं कर पाता इसलिए वापस छोडता जरूर है|
राह॒ के आगे पीछे 6 अंश तक कोई ग्रह हो तो उस ग्रह की शक्ति ही समाप्त कर देता है| राहु की दशा 18 साल की होती है व इसकी चाल नियमित है तीन कला ग्यारह विकला रोजाना की चाल से अच्छा या बुरा फल जरूर देता है| इसकी चाल से 19 वीं साल में किसी का अगर शारिरिक संबंध बने तो 38 वे साल में भी बनाने पडेंगे या किसी प्रकार 19 वें साल जेल या अस्पताल  या कहीं बंधक में रहा हो तो 38 वे साल में भी रहना पडेगा| राहु के गणना के साथ जो तिथि आज है वही तिथि आज के 19 वीं साल की होगी|
राहु कुडंली में नीच राशि में चतुर्थ,पंचम,सप्तम,अष्टम,नवम,द्धाद्धश भाव में हो तो निश्चित ही आथिर्क,मानसिक,भौतिक पिड़ाये अपनी दशा-अंतरदशा में देता है| अस्त राह॒ भयंकर पीड़ादायक होता है चाहे किसी भी भाव का हो| राहु बारहवें घर में भी बड़ा अशुभ होता है यहां पर जेल या बंन्धक का कारक है|  दशा-अंतरदशा में पागलखाने या जेलखाने या अस्पताल में भेज देता है|
बुध अस्त में जन्मे जातक कभी भी राहु वाले खेल न खेले तो सुखी रहेगा| राहु का संबंध मंनोरंजन और फिल्मों से भी है व वाहन का कारक भी है और राहु को हवाई जहाज के काम और आंतरिक्ष में जाने का कार्य पंसद है| राहु के साथ मंगल वाला जातक धमाका करने में माहिर होता है
राहु से गृस्त व्यक्ति पागल की तरह व्यवहार करता है ,पेट के रोग, दिमागी रोग, पागलपन, खाज-खुजली, भूत-चुडैल का शरीर में प्रवेश करना, नशे की आदत लगाना,गलत स्त्रियों या पुरूषों के साथ संबंध बनाकर विभिन्न प्रकार के रोग लगा लेना, शराब और शबाब के चक्कर में खुद को बबार्द करना, कम्प्यूटर टीवी मंनोरंजन के साधनों में अपना मन लगाकर बैठना, होरर शो देखने की आदत होना, नेट पर बैठकर बेकार की स्त्रियों और पुरूषों के साथ चैटिंग करना और दिमाग को खराब करते रहना, कुत्रिम साधनों से अपने शरीर के सूर्य को यानी वीर्य को झाड़ते रहना, शरीर के अन्दर अति कामुकता के चलते लगातार यौन संबंधों को बनाते रहना और बाद में वीर्य के समाप्त होने पर या स्त्रीयों में रज के खत्म होने पर टीबी, तपेदिक, फेफड़ों की बीमारिया लगाकर जीवन को समाप्त करने का उपाय करना|
उपरोक्त प्रकार के भाव मिलते है तो समझना चाहिए की किसी न किसी प्रकार के राहु का प्रकोप शरीर पर है या तो गोचर से अपनी शक्ति देकर मनुष्य जीवन को जानवर की गति प्रदान कर रहा है अथवा राहु की दशा चल रही है
राहु चन्द्र की युक्ति हो तो यह मान के चले कि चिन्ता का दौर चल रहा है यह युक्ति कोई भी भाव में हो, दिमाग में किसी न किसी प्रकार की चिन्ता लगीं रहती है| महिला हो तो अपनी सास, ससुराल खानदान के साथ बंन्धक की चिन्ता लगी रहती है यह योग किसी भी भाव में  अगर दुरी में चाहे 29 अंश तक क्यों न हो वह अपना फल जरूर देता  है इसलिए राहु जब भी गोचर से या जन्मकुंडली की दशा से दोनों एक साथ होगे तो चिन्ता का समय जरूर सामने होगा|
राहु की उतम दशा में जातक संयुक्त परिवार में रहता है, बाग-बगीचे लगाना और लगातार उन्नति करता है और अपना विकास करता है लेकिन दिमागी फितूर का दौर जारी रहता है|
दशा-अंन्तदशा आरभ्भ होने से पहले ही राहु के बीज मंत्र का जाप अवश्य कर लेना चाहिए राहु चाहे किसी भी भाव का हो|