Tuesday, January 25, 2011

सप्तम स्थान विवाह और जीवनसाथी


विवाह भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण संस्कार है। कहते हैं कि जोड़ियां संयोग से बनती हैं जो कि परमात्मा द्वारा पहले से ही तय होती हैं। यह भी सत्य है कि अच्छी पत्नी व अच्छी  सन्तान भाग्य से ही मिलती है। पूर्वजन्म के कर्मों के अनुसार ही जीवन साथी मिलता है, यदि सुकर्म अधिक हैं तो वैवाहिक जीवन सुखमय और कुकर्म अधिक हैं तो वैवाहिक जीवन दुखमय होता है। 
जन्मकुंडली में विवाह का विचार सातवें भाव से होता है। इस भाव से पति एवं पत्नी, काम (भोग विलास), विवाह से पूर्व एवं पश्चात यौन संबंध, साझेदारी आदि का विचार मुख्य रूप से किया जाता है। 
         फलित ज्योतिष में योग की महत्ता
सप्तम यानी केन्द्र स्थान विवाह और जीवनसाथी का घर होता है. इस घर पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर या तो विवाह विलम्ब से होता है या फिर विवाह के पश्चात वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य की कमी रहती है.
जिनकी कुण्डली में ग्रह स्थिति कमज़ोर हो और मंगल एवं शुक्र एक साथ बैठे हों उनके वैवाहिक जीवन में अशांति और परेशानी बनी रहती है. ग्रहों के इस योग के कारण पति पत्नी में अनबन रहती है.
शनि और राहु का सप्तम भाव होना भी वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि दोनों ही पाप ग्रह दूसरे विवाह की संभावना पैदा करते हैं.
राहु, सूर्य, शनि व द्वादशेश पृथकतावादी ग्रह हैं, जो सप्तम (दाम्पत्य) और द्वितीय (कुटुंब) भावों पर विपरीत प्रभाव डालकर वैवाहिक जीवन को नारकीय बना देते हैं। दृष्टि या युति संबंध से जितना ही विपरीत या शुभ प्रभाव होगा उसी के अनुरूप वैवाहिक जीवन सुखमय या दुखमय होगा।
राहु की दशा में शादी हो,या राहु सप्तम को पीडित कर रहा हो,तो शादी होकर टूट जाती है,यह सब दिमागी भ्रम के कारण होता है।
चन्द्रमा मन का कारक है,और वह जब बलवान होकर सप्तम भाव या सप्तमेश से सम्बन्ध रखता हो तो चौबीसवें साल तक विवाह करवा ही देता है।
अष्टकूट मिलान(वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी) आवश्यक है और ठीक न हो तो भी वैचारिक मतभेद रहता है। 
जब सप्तमेश एकादश भाव में उपस्थित हो तो जातक की पत्नी रूपवती, संस्कारयुक्त, मृदुभाषी व सुंदर होती है तथा विवाह के पश्चात जातक की आर्थिक आय में वृद्धि होती है या पत्नी के माध्यम से भी उसे आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं।
जिस कन्या की जन्मकुंडली के लग्न में चन्द्र, बुध, गुरु या शुक्र उपस्थित होता है, उसे धनवान पति प्राप्त होता है।

Monday, January 3, 2011

सिंह राशि

       सिंह राशि,   भविष्यफल 2011    (मा, मी, मू, मो, टा, टी, टू, टे)
साल 2011 करियर के मामले में आपको ऐसे सकारात्म परिणाम मिलेंगे, जिनके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा। जनवरी प्रथम सप्ताह से मंगल का प्रभाव आपके कार्य में व्यवधान खड़ा करेगा। परंतु धैर्य से काम लें। सफलता हासिल होगी। इस साल आपकी राशि के दूसरे स्थान  पर शनि और सातवें स्थान  पर वृहस्पति  ज्यादा समय के लिए बना रहेगा, लिहाजा धन और संबंधों के मामले में यह साल काफी सुखद रहेगा। चौथे और दसवें स्थान  पर रहने वाले राहु एवं केतु करियर के लिए अच्छे हैं। व्यापार-व्यवसाय में कोई भी अनुबंध सोच-समझ कर करें। फरवरी अंत से शुक्र आपके कोर्ट संबंधित केस लंबे समय तक चलेंगे। लीवर से संबंधित तकलीफ हो सकती है। शत्रुओं से सावधान रहें। बृहस्पति का अष्टम भाव में होना कार्यों में सफलता के मार्ग में व्यवधान उत्पन्न कर सकता है, जो कि मई अंत तक असर रहेगा। अपने विवेक से कार्य लें। मार्च अंत से शुक्र एवं मार्च मध्य से सूर्य का भी प्रभाव अड़चनें पैदा करेगा। गुरु एवं इष्ट की सेवा से सफलता प्राप्त होगी। मई में अधिकारी वर्ग को प्रसन्न रखने का पूर्ण प्रयास करें। जून अंत तक सफलता पूर्ण रूप से मिलेगी। जुलाई अंतिम सप्ताह से फिजूलखर्च बढ़ेगा। ऐसी कोई घटना घटेगी जिसका आपको कभी अंदाजा भी नहीं होगा। परेशानी आ सकती है। सितंबर में अपने पर कंट्रोल रखना पड़ेगा। क्रोध में नुकसान हो सकता है। अक्टूबर से नवंबर का समय संतोषजनक रहेगा। दिसंबर में अपने वालों के सहयोग से कार्य पूर्ण होंगे। 
शुभ अंक : 1, 4, 9
भाग्यशाली माह :- जनवरी, अगस्त, दिसंबर।
शुभ रंग : नारंगी, सुनहरा, लाल
शुभ दिन : मंगलवार और बुधवार
शुभ रत्न  : रूबी
       कन्या  (टो, पा, पी, पू, , , , पे, पो)
कन्या राशि वालों का स्वामी ग्रह बुध है, जिसे हम संचार और व्यापार का ईश्वर मानते हैं।  व्यापार जगत के लिए कन्या राशि को चुंबक के समान माना जाता है, यानी इस राशि वालों की रुचि नौकरी से ज्यादा व्यापार में होती है।
कन्या राशि वाले जातकों के लिए यह माह मध्यम रहेगा। जनवरी सामान्य रहेगा। जनवरी-फरवरी में यानी साल की शुरुआत तो काफी अच्छी होगी, लेकिन 24 जनवरी के बाद स्थितियां थोड़ी सी विपरीत हो सकती हैं। परिवार में झगड़ा हो सकता है, स्वास्थ्य बिगड़ सकता है और बच्चों को लेकर आप तनाव बढ़ सकता है। यही नहीं काम का बोझ भी बढ़ेगा। इस दौरान नए अवसरों के पीछे भागना भी व्यर्थ होगा। नए प्रोजेक्ट लेने से भी खास लाभ मिलने वाला नहीं है। इन दो महीनों में हर प्रकार के झगड़ों से बचें।
राहु के प्रभाव से साल के पहले चार महीने में परेशानियां आपके साथ बनी रहेंगी। लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य हो जाएंगी। व्यापारी वर्ग को लाभ मिलेगा। विशेषकर वस्त्र, जूट, प्लास्टिक व लोहा व्यापारी लाभान्वित होंगे। फरवरी से मई अंत तक का समय व्यापार में सफलता वाला रहेगा। नौकरी वालों के लिए पदोन्नति वाला रहेगा।  लापरवाही नुकसान दे सकती है। जून से अगस्त के बीच आपका संपर्क किसी विशिष्ठ व्यक्ति से होगा, जो कि आगे तक सफलता दिलाएगा। अगस्त मध्य से सितंबर मध्य तक का समय अपने को सुधारने का है। अपने व्यवहार एवं श्रम पूर्ण सफलता दिलाएगा। अक्टूबर में मंगल का प्रभाव फिजूल खर्च करा सकता है। पूर्ण विवेक से कार्य करें, सफलता मिलेगी। अक्टूबर मध्य से नवंबर मध्य तक का समय सफलता वाला रहेगा। दिसंबर में उन्नति के मार्ग खुलेंगे।
शुभ अंक- 3,6 और 7
भाग्यशाली माह :- जनवरी, जुलाई, अगस्त।
शुभ रंग- हरा, आसमानी, सफेद और पीला
शुभ दिन- बुधवार
शुभ रत्न- पन्ना
          तुला - (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
तुला राशि वालों का स्वामी ग्रह शुक्र है। स्वामी  ग्रह के विशेष प्रभाव के कारण साल 2011 आपके लिए समृद्धि एवं भौतिक लाभ लेकर आएगा। बुध ग्रह की दृष्टि हमेशा आप पर बनी रहने के कारण आपके अंदर मेष राशि वाले लोगों के जैसे गुण दिखाई देते हैं, लेकिन फिर भी आपका व्यवहार  हमेशा सबसे अलग होता है। तुला राशि वाले तेज से परिपूर्ण, शिष्टता से भरे और बेहतरीन व्यवहार  वाले होते हैं। 
तमाम बड़ी चुनौतियों के बीच 2011 में आपके लिए नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं। काम का बोझ तेजी से बढ़ेगा, यदि आप गतिशील और सक्रिय बने रहे, तो जीवन में आने वाली परेशानियां खुद ब खुद हल होती जाएंगी। जीवन में नए द्वार खोलने के लिए अभी से तैयार हो जाएं।
जनवरी में मंगल कार्यों को प्रभावित करेगा एवं परिणाम में विफलता ला सकता है।  प्रति रोज किए गए कार्यों को ध्यान से करना पड़ेगा। मार्च (प्रति दिन) का महीना मिश्रित फल वाला रहेगा। मई तक का समय मध्यम रहते हुए अंत में अच्छी सफलता अर्जित कराएगा। सामाजिक कार्यों में सफलता मिलेगी। राजनैतिक कार्य होंगे। अक्टूबर माह में प्रत्येक कार्य में यश, प्रतिष्ठा दिलाने वाला रहेगा। सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ धार्मिक प्रतिष्ठा भी मिलेगी। अक्टूबर से नवंबर अंत का समय भौतिक सुख-सुविधा दिलाने वाला रहेगा। नवंबर में जब शनि आपकी राशि के पहले स्थान में प्रवेश करेगा तब स्थितियों में बदलाव आएगा और एक बार फिर अच्छा समय शुरू होगा, जिसमें  भाग्योदय के साथ तेजी से ऊपर उठने की संभावना है। पारिवारिक मामलों में चुनौतियां बरकरार रहेंगी। दिसंबर के समय में इष्ट देवता को प्रसन्न करें, सफलता मिलेगी।
शुभ अंक : 2, 7, 1
भाग्यशाली माह :- मार्च, जनवरी, अक्टूबर।
शुभ रंग : नारंगी, ग्रेऔर सफेद
शुभ दिन : रविवार और सोमवार
शुभ रतन : हीरा
वृश्चिक - (ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
इस साल वृश्चिक राशि पर बुध का प्रभाव भी रहेगा। दोनों मिलकर सफलता की सीढि़यां बनाएंगे। यह साल आपके लिए काफी सकारात्मक  फल लेकर आएगा। हालांकि साल के बीच में बड़े झटके भी मिल सकते हैं।
वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए यह माह भ्रमण वाला रहेगा। जनवरी माह से फरवरी मध्य का समय विशेष लाभकारी रहेगा। फरवरी मध्य से मार्च मध्य का समय मानसिक क्लेश कारक हो सकता है। शेयर बाजार या वायदा बाजार से संबंधित कार्य करने वालों को इस अवधि में सोचकर कार्य करना चाहिए वरना हानि उठाना पड़ेगी। विदेश से पूँजी कमाने का अवसर भी मिलेगा। अप्रैल से मई तक का समय अपने पराक्रम को बढ़ाने वाला एवं अच्छी सफलता वाला रहेगा। अप्रैल तक आपके घर में ढेर सारी खुशियां आएंगी, मई में कार्य क्षेत्र में बड़े परिवर्तन दिखेंगे और उसके बाद सभी कुछ सामान्य चलेगा।  जून मध्य से मंगल का प्रभाव निर्माण कार्य में विलंब करा सकता है। राजनैतिक कार्य में सफलता मिलेगी। जून मध्य से अगस्त अंत का समय बनते कार्यों को बिगाड़ सकता है। अपयश दिला सकता है। सितंबर मध्य से बुध आर्थिक दृढ़ता प्रदान करेगा। अक्टूबर भवन निर्माण लाभ वाला रहेगा। नवंबर एवं दिसंबर का माह अनावश्यक खर्च मानसिक कष्ट दे सकता है।
शुभ अंक : 3, 9 और 4
भाग्यशाली माह :- फरवरी, सितंबर, दिसंबर।
शुभ रंग: पीला, लाल और नारंगी
शुभ दिन : मंगलवार और गुरुवार
क्रमश:-------