Saturday, May 15, 2010

तेरापंथ के आचार्य महाप्रज्ञ का निर्वाण व महाश्रमण पर आचार्य का दायित्व

महाप्रज्ञ का जन्म १७ जून १९२० राजस्थान के झुझुनूं जिले के छोटे से गांव टमकोर में हुआ था अपने परिवार में नथमल के नाम से जाने जाते थे| दस वर्ष की आयु में सन्यास ले लिया था| ९० सालों के महाप्रज्ञ के अंतिम दर्शन करने के लिए देश भर से बड़ी संख्या में उनके अनुयायी सरदारशहर पहुचे| उनकी अंतिम यात्रा में तीन घंटे का समय लगा| पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, शान्तिधारीवाल,शिक्षा मंत्री भँवर लाल मेधवाल,पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिधया,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी,राज्य सभा सांसद ललित किशोर चतुर्वेदी,बीकानेर के सांसद अजुर्न मेघवाल सहित देशभर से कई राज नेता और बड़े उधोगपति एंव सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधी उनके अंतिम दर्शन करने सरदारशहर पहुचे|
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम महाप्रज्ञ के विचारों से बहुत प्रभावित थे इसलिए अंतिम दर्शन के लिए पहुचे| राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील, प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह, काग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाधी, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों एंवम राज्यपालों संहित लालकृष्ण आड़वानी सहित अनेक गणमान्य हस्तीयो ने संदेश भेजकर उनके निधन पर शोक जताया|एंवम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हेलीकाप्टर से सरदारशहर पहुचे व महाश्रमण व साध्वी प्रमुखा से चर्चा की|
रविवार सुबह ९.५५ से १०.१५ बजे तक उन्होंने श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन किया दोपहर दो बजे सीने में दर्द कि शिकायत पर डाक्टरों की टीम पहुचीं व उपचार शुरू किया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका| युवाचार्य महाश्रमण ने दोपहर बाद तीन बजे आचार्य महाप्रज्ञ के देवलोक गमन की घोषणा की|महाप्रज्ञ के निर्वाण से तेरापंथ समाज स्तब्ध है| साधु-सतियों में शोक व्याप्त है|
अणुव्रत आंदोलन में अह॒म भूमिका निभाने वाले महाप्रज्ञ जैन विश्व भारती विश्वविधालय के अध्यक्ष थे| प्रेक्षाध्यान के अविष्कारक और जीवन विज्ञान का प्रयोग करने वाले महाप्रज्ञ ने अहिंसा यात्रा के माध्यम से देश को एक नई दिशा दी| उन्होंने तीन सौ से अधिक पुस्तकें लिखी| जैन योग एवं ध्यान परंपरा के साथ जैन आगमों के भी वे संपादक रहे|
महाप्रज्ञ के बाद अब युवाचार्य महाश्रमण को धर्मसंघ के ११ वे आचार्य का दायित्व सौपा गया है | ११ वे आचार्य का दायित्व सभ्भालने वाले आचार्य महाश्रमण मुदित कुमार का जन्म सरदाशहर में विक॒म संवत २०१९ में हुआ| पिता डुगर मल दुगड़ व माता नेमा देवी के घर जन्मे महाश्रमण को २८ वर्ष कि आयु में १४ सितम्बर १९९७ को आचार्य महाप्रज्ञ ने गंगाशहर में तेरापंथ धर्म संध के युवाचार्य के पद पर प्रतिष्ठत किया था| उन्होंने ने संवत २०३१ में दीक्षा ली थी|
युवाचार्य श्री महाश्रमण मानवता के लिए समपिर्त जैन तेरापंथ के उज्जवल भविष्य है|१३.५.१९६२ को सरदारशहर में जन्मे सरदारशहर में ही ५.५.१९७४ को दीक्षित तथा प्रचीन गुरु परम्परा की श्रृंखला में आचार्य महाप्रज्ञ द्धारा अपने उतराधिकारी के रूप में मनोनित युवाचार्य महाश्रमण विनम्रता की प्रतिमूर्ति हैं| अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी की उन्होंने अनन्य सेवा की तुलसी-महाप्रज्ञ जैसे सक्ष्म महापुरुषों द्धारा वे तराशे गये है|
महाश्रमण उम्र से युवा है, उनकी सोच गभ्भीर है, युक्ति पैनी है द्ष्टि सुक्ष्म है तथा कठोर परिश्रमी है, उनकी प्रवचन शैली दिल को छु लेने वाली है|
युवाचार्य की प्रज्ञा एवं प्रशासनिक बूझ बेजोड़ है, गौर वर्ण, आकर्षक मुख मंड़ल, सहज मुस्कान से परिपूर्ण ब॒ह्म व्यक्तित्व एंव आंतरिक पवित्रता, विनम्रता, शालीनता व सहज जैसे:प्रोत युवाचार्य महाश्रमण से न केवल तेरापंथ अपितु पूरा धार्मिक जगत आशा भरी नजरों से निहार रहा है और उनकी महानता को स्वीकार कर रहा है|
११ वे आचार्य महाश्रमण का पदाभिषेक २३ मई को उतराफाल्गुनी नक्षत्र  कन्या राशि के चन्द्रमा पर विधा मंदिर सरदारशहर में सुबह ८.३० मनाने की सुचना मिली है

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